Sunday 17 July 2011

जनता पूछे देश में, कितने महिने और |

 B J P : पान का बीड़ा
रखी रकाबी में  रकम, पनबट्टी के  साथ |
दिग्गी जस जो दोगला, वही  लगावे  हाथ || 
राहुल की राह-गुल -- 
कई देश में रात दिन, होते बम-विस्फोट |
एक बार की चोट से,  देगा क्यूँ  न वोट ||

पृथ्वी  बोले
पृथ्वी  बोले  मै  नहीं, गोरी  का  ही दोष |
मोनी-सोनी घूमते, करे व्यक्त अफ़सोस ||
चिदंबरम उवाच !
 इकतिस महिना न हुआ, माँ मुम्बा विस्फोट |
 तीन  फटे  तेइस  मरे,  व्यर्थ  निकाले  खोट ||

 जनता  पूछे--
 जनता  पूछे देश  में, कितने महिने और |
गृह-मंत्री जी बोलिए, मिलिहै हमका ठौर ||

6 comments:

  1. रविकर जी देश की वर्तमान दुर्दशा और दुर्मुखों के कहे ,किए पर सटीक टिपण्णी हैं ये दोहे .मुबारक .

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  2. तीखे प्रहार ,सुन्दर शब्द चयन ,कथ्य सामयिक, प्रभावशाली अभिव्यक्ति ,मूबारक हो ../

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  3. कुछ दोहों में निपट गयी यूपीए सरकार।
    साधुवाद के पात्र हैं आप करें स्वीकार ॥

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  4. बहुत सटीक और सशक्त टिप्पणी...बहुत सुन्दर और प्रभावी प्रस्तुति..

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